तपिश

तुम्हारी इबारत उस धीमी जली आग की तपिश सी है, जो इस सुन्न सर्द अंधेरी रात में मुझे जिंदा रखे हुए है। मगर न जाने क्यों इस मौसम को हमारा साथ रास नहीं आता। वो तरह-तरह के पैंतरे आज़माता है, मेरा आखिरी सहारा छिनने के लिए। वो भड़काता इन हवा के झोंकों को, मुझे बेसहारा... Continue Reading →

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